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मंगलवार, 28 जनवरी 2025

अमौसा के मेला

 अमौसा के मेला


भक्ति के रंग में रंगल गाँव देखा,
धरम में, करम में, सनल गाँव देखा।
अगल में, बगल में सगल गाँव देखा,
अमौसा नहाये चलल गाँव देखा।

एहू हाथे झोरा, ओहू हाथे झोरा,
कान्ही पर बोरा, कपारे पर बोरा।
कमरी में केहू, कथरी में केहू,
रजाई में केहू, दुलाई में केहू।

आजी रँगावत रही गोड़ देखऽ,
हँसत हउवे बब्बा, तनी जोड़ देखऽ।
घुंघटवे से पूछे पतोहिया कि, अईया,
गठरिया में अब का रखाई बतईहा?

एहर हउवे लुग्गा, ओहर हउवे पूड़ी,
रामायण का लग्गे ह मँड़ुआ के डूंढ़ी।
चाउर आ चिउरा किनारे के ओरी,
नयका चपलवा अचारे का ओरी।

(इस गठरी और इस व्यवस्था के साथ गाँव का आदमी जब गाँव के बाहर रेलवे स्टेशन पर आता है तब क्या स्थिति होती है ?)

मचल हउवे हल्ला, चढ़ावऽ उतारऽ,
खचाखच भरल रेलगाड़ी निहारऽ.
एहर गुर्री-गुर्रा, ओहर लुर्री‍-लुर्रा,
आ बीचे में हउव शराफत से बोलऽ

चपायल ह केहु, दबायल ह केहू,
घंटन से उपर टँगायल ह केहू.
केहू हक्का-बक्का, केहू लाल-पियर,
केहू फनफनात हउवे जीरा के नियर.

बप्पा रे बप्पा, आ दईया रे दईया,
तनी हम्मे आगे बढ़े देतऽ भईया.
मगर केहू दर से टसकले ना टसके,
टसकले ना टसके, मसकले ना मसके,

छिड़ल ह हिताई-मिताई के चरचा,
पढ़ाई-लिखाई-कमाई के चरचा.
दरोगा के बदली करावत हौ केहू,
लग्गी से पानी पियावत हौ केहू.
अमौसा के मेला, अमौसा के मेला.

रविवार, 26 जनवरी 2025

गणतंत्र दिवस: राष्ट्र निर्माण और स्वर्णिम भविष्य का महापर्व

गणतंत्र दिवस राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का पर्व है और देश का स्वर्णिम भविष्य गढ़ने का अवसर। यह एक राष्ट्रीय महायज्ञ है जिसमें हर नागरिक को अपनी योग्यता एवं सामर्थ्य के अनुसार आहुति देनी है। सत्कर्तव्य की यह आहुति न केवल आत्मिक सुख प्रदान करेगी, अपितु राष्ट्र को सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठापित भी करेगी। "वयं राष्ट्र जागृयाम", यजुर्वेद के इस मंत्र के साथ यह पर्व जनमानस को जागृत कर राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित करता है। राष्ट्रभक्ति ईश्वर की नवधा भक्ति से कम नहीं होती। अतः मन, वाणी एवं कर्म से हमारा समग्र चिंतन राष्ट्र को समर्पित होना चाहिए।

राष्ट्रभक्ति उस जापानी नागरिक से सीखी जा सकती है, जो रेलयात्रा के दौरान स्टेशन पर फल न देखकर भारतीय संत स्वामी रामतीर्थ के मुख से "शायद इस देश में फल नहीं होते", यह सुनकर अगले ही पल फलों की टोकरी के साथ उनके समक्ष उपस्थित हो जाता है। जब मूल्य पूछा तो विनत भाव से बोला "श्रीमन्! फल स्वीकार कीजिए। यदि मूल्य देना है तो अपने देश में जाकर किसी से मत कहना कि जापान में फल नहीं होते"। जिस देश के नागरिकों में ऐसी राष्ट्रभक्ति हो, वहां के गणतंत्र को कोई खतरा-नहीं हो सकता। गणतंत्र की सफलता एवं देश के स्वाभिमान की रक्षा नागरिकों की उच्च चिंतन दृष्टि से होती है।

गणतंत्र दिवस संविधान की अभ्यर्चना का पर्व है और योगक्षेम की प्राप्ति का साधन। जब विधान के बिना जीवन का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता तो राष्ट्र का कैसे हो सकता है? सामाजिक स्वतंत्रता, समानता तथा न्याय का सशक्त आधार होने से ही किसी गणतंत्र की रीढ़ मजबूत होती है। इसके बिना राजनीतिक स्वतंत्रता अधूरी तथा देश का विकास पंगु हो जाता है। गणतंत्र को चिरंजीवी बनाने वाला राष्ट्रीय एकता का एकमात्र साधन यही है।

गुरुवार, 16 जनवरी 2025

कौन हैं IITian बाबा? महाकुंभ की कहानी।

 IITian बाबा: लाखों की नौकरी छोड़ अध्यात्म की ओर बढ़ने की प्रेरणादायक कहानी



महाकुंभ 2025 के दौरान कई साधु-संत और तपस्वी अपने अनोखे कार्यों से सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक चर्चा में हैं "IITian बाबा"। इस बाबा का असली नाम अभय सिंह है, जिन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद लाखों की नौकरी छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुना। उनकी इस अनोखी यात्रा ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।

कौन हैं IITian बाबा?

हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव के रहने वाले अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी उच्च शिक्षा और बेहतरीन करियर के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि वे कई प्रतिष्ठित कंपनियों में काम कर चुके हैं, और कनाडा में भी तीन साल तक रहकर एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी की।

लाखों की नौकरी छोड़कर अध्यात्म की ओर

अभय सिंह ने बताया कि कनाडा में वे 3 लाख रुपये मासिक वेतन यानी 36 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर काम कर रहे थे। हालांकि, वहां की जिंदगी और काम से वे निराश और तनावग्रस्त रहने लगे। उन्होंने महसूस किया कि भौतिक सुख-सुविधाओं से उनका मन भरा नहीं, बल्कि वे और अधिक मानसिक तनाव में आ गए। इसी निराशा से उबरने के लिए उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना।

मेंटल हेल्थ और अध्यात्म

अभय ने बताया कि कनाडा में रहने के दौरान वे डिप्रेशन से जूझ रहे थे। उन्होंने मेंटल हेल्थ समस्याओं से निपटने के लिए अध्यात्म की ओर रुख किया, जिसने उन्हें शांति और आत्मिक संतोष प्रदान किया। अध्यात्म में उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान मिला और उन्होंने अपने जीवन में एक नई दिशा की खोज की।

व्यक्तिगत जीवन और 4 साल की डेटिंग

अभय सिंह ने यह भी बताया कि वे भारत में एक लड़की के साथ चार साल तक रिलेशनशिप में थे। हालांकि, अपने माता-पिता के बीच विवादों के कारण उनका शादी से विश्वास उठ गया और उन्होंने विवाह नहीं करने का निर्णय लिया। इस व्यक्तिगत अनुभव ने भी उनके जीवन में बदलाव लाने में भूमिका निभाई।

परिवार की प्रतिक्रिया

अभय के पिता, कर्ण सिंह, जो पेशे से वकील हैं, ने बताया कि अभय ने पिछले छह महीनों से उनके संपर्क में नहीं थे। उन्होंने कहा कि अभय कनाडा में अपनी बहन के साथ रहते थे और वहां नौकरी कर रहे थे। परिवार के लिए अभय का यह निर्णय अप्रत्याशित था, लेकिन वे उनके इस फैसले का सम्मान करते हैं।

IITian बाबा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो भौतिक सुख-सुविधाओं और उच्च वेतन के बावजूद अपने जीवन में आत्मिक संतोष की खोज में हैं। अभय सिंह का जीवन इस बात का उदाहरण है कि असली खुशी और संतोष बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि भीतर की शांति में है। उनकी यह यात्रा न केवल अध्यात्म में रुचि रखने वालों के लिए, बल्कि आधुनिक युग में मानसिक स्वास्थ्य और आत्मिक संतोष की तलाश में लगे लोगों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है।


सैफ अली खान पर हमला

 सैफ अली खान के घर पर हमला: बांद्रा स्थित अपार्टमेंट में अज्ञात शख्स ने किया हमला



बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के बांद्रा स्थित घर में बुधवार देर रात एक अज्ञात शख्स ने हमला कर दिया। इस हमले में सैफ अली खान घायल हो गए, जिसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, यह घटना देर रात करीब 2.30 बजे घटी, जब एक अज्ञात व्यक्ति चोरी के इरादे से उनके घर में घुस आया। सैफ अली खान की पत्नी करीना कपूर खान और उनके बच्चे तैमूर और जेह भी इस घर में रहते हैं।

घटना का विवरण

सूत्रों के मुताबिक, घर में घुसे शख्स की बहस सैफ अली खान की मेड से हो रही थी। जब सैफ ने बीच-बचाव की कोशिश की, तो हमलावर ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। घटना के समय परिवार के अन्य सदस्य भी घर में मौजूद थे। इस हमले में सैफ के हाथ, रीढ़ की हड्डी और गर्दन पर चोटें आईं। खबरों की मानें तो सैफ का ऑपरेशन हो चुका है और उनकी स्थिति खतरे से बाहर है। डॉक्टरों ने उनके घावों से तीन इंच की नुकीली चीज निकाली है और कॉस्मेटिक सर्जरी भी की जा रही है।

पुलिस की कार्रवाई

बांद्रा पुलिस ने घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। बांद्रा के डीसीपी ने बताया कि अज्ञात शख्स के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। स्क्वायड डॉग्स को भी अपार्टमेंट में जांच के लिए लाया गया है। पुलिस फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हमलावर का मकसद क्या था और वह कैसे घर में दाखिल हुआ।

सैफ अली खान की स्थिति

लीलावती अस्पताल में भर्ती सैफ अली खान का ऑपरेशन चल रहा है। उनकी पत्नी करीना कपूर खान भी उनसे मिलने सुबह 4.30 बजे अस्पताल पहुंचीं। करीना की टीम ने बयान जारी कर कहा है कि घर में अब सब कुछ ठीक है और सैफ की हालत स्थिर है।

सैफ अली खान का बांद्रा वाला घर

सैफ अली खान का बांद्रा में स्थित घर सतगुरु शरण बिल्डिंग में है, जो एक शानदार 3 बेडरूम अपार्टमेंट है। इसमें छत, बालकनी और स्विमिंग पूल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। यह घर सैफ, करीना और उनके बच्चों के लिए एक आरामदायक और आलीशान निवास है।

फिल्म की शूटिंग स्थगित

इस हमले के बाद, सैफ अली खान की आगामी फिल्म की शूटिंग को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। पहले ही अभिनेता जयदीप अहलावत के पिता के निधन के कारण शूटिंग रुकी हुई थी, और अब सैफ के घायल होने के बाद शूटिंग में और देरी हो सकती है।

यह घटना बॉलीवुड के लिए एक बड़ी खबर है, जिसने प्रशंसकों और इंडस्ट्री को झकझोर कर रख दिया है। सैफ अली खान पर हुए इस हमले की जांच जारी है, और उनकी सेहत को लेकर उनके फैंस चिंतित हैं। सैफ की सुरक्षा को लेकर उठाए जाने वाले कदमों पर भी नजर बनी हुई है।

सैफ अली खान की इस घटना से जुड़ी ताजा खबरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।.

कौन हैं हर्षा रिचारिया? ग्लैमर से भक्ति की ओर

 महाकुंभ 2025: प्रयागराज में हर्षा रिछारिया का आकर्षण, ग्लैमर से भक्ति की ओर


प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी से हुआ, जहां शुरुआती दो दिनों में ही लगभग 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। हर कोने से श्रद्धालु इस धार्मिक मेले में पुण्य कमाने के लिए उमड़ रहे हैं। इस महाकुंभ में एक नाम, जो इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है, वह है हर्षा रिछारिया। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं और उन्हें "प्रयागराज महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी" कहा जा रहा है।

कौन हैं हर्षा रिछारिया?



31 वर्षीय हर्षा रिछारिया उत्तराखंड से आती हैं, जबकि उनका मूल घर मध्य प्रदेश के भोपाल में है। वे आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या हैं और निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हुई हैं, जो नागा साधुओं के लिए प्रसिद्ध है। हर्षा ने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर खुद को एंकर, मेकअप आर्टिस्ट, सोशल एक्टिविस्ट, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर, और ट्रैवल ब्लॉगर के रूप में प्रस्तुत किया है। अपने पिछले जीवन में वे एक जानी-मानी एंकर रही हैं और बाद में एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के रूप में लोकप्रियता पाई।

साध्वी कहलाना पसंद नहीं

हर्षा रिछारिया की महाकुंभ में उपस्थिति ने उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है, लेकिन वे खुद को साध्वी कहलाना पसंद नहीं करतीं। उन्होंने स्पष्ट किया, "आप मुझे हर्षा ही कहिए। महाकुंभ में आते ही मुझे साध्वी का टैग दे दिया गया है, जो फिलहाल सही नहीं है। मैं कोई साध्वी नहीं हूं। मैंने साध्वी के लिए कोई दीक्षा नहीं ली है और मेरा कोई संस्कार भी नहीं हुआ है। मैं एक साधारण शिष्या हूं, जिसने बस गुरु मंत्र लिया है और साधना कर रही हूं।"

भक्ति और ग्लैमर का अनूठा समन्वय

हर्षा रिछारिया ने ग्लैमर वर्ल्ड छोड़कर आध्यात्म की राह चुनी है। वे मानती हैं कि भक्ति और ग्लैमर में कोई विरोधाभास नहीं है। उनकी पुरानी तस्वीरें अब भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जिसे वे हटाना नहीं चाहतीं। उनका कहना है कि यह उनकी जिंदगी का हिस्सा है और अब वे एक नई यात्रा पर हैं। हर्षा का यह सफर उनके पुराने और नए जीवन के बीच एक संतुलन का प्रतीक है, जो भक्ति और आधुनिकता के मेल को दर्शाता है।

महाकुंभ में हर्षा रिछारिया का सफर

महाकुंभ 2025 में हर्षा रिछारिया का सफर एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो उन्हें एक नई पहचान दिला रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति और वायरल हो रही तस्वीरें उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाती हैं।

निष्कर्ष

हर्षा रिछारिया का जीवन एक प्रेरणा है कि ग्लैमर और भक्ति का संगम कैसे संभव है। प्रयागराज महाकुंभ में उनकी उपस्थिति ने उन्हें एक चर्चित हस्ती बना दिया है, जो भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते कदमों की कहानी कहती है।

महाकुंभ 2025 से जुड़ी हर खास खबर और अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहें।

शनिवार, 11 जनवरी 2025

HMPV वायरस क्या है?

HMPV वायरस क्या है?

HMPV (Human Metapneumovirus) एक वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों, और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है।

HMPV के लक्षण:

  • सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण (नाक बहना, गले में खराश)

  • खांसी

  • बुखार

  • सांस लेने में कठिनाई (गंभीर मामलों में)

  • ब्रोंकाइटिस या निमोनिया (कभी-कभी)

HMPV संक्रमण के तरीके:

  • यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या संपर्क में आने से फैलता है।

  • यह सतहों पर भी कुछ समय तक जीवित रह सकता है, जिससे संक्रमण फैल सकता है।

इलाज:

HMPV के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है। उपचार लक्षणों को कम करने पर केंद्रित होता है, जैसे:

  • बुखार कम करने के लिए पेरासिटामोल

  • हाइड्रेशन बनाए रखना

  • गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी या अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।

बचाव:

  • हाथों की नियमित सफाई

  • संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना

  • श्वसन शिष्टाचार का पालन (छींकते या खांसते समय मुंह ढंकना)

HMPV आमतौर पर सर्दियों के महीनों में अधिक फैलता है। बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल इस वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर सकती है।

आप इस से बहुत ज़्यादा परेशान न हो, आप इसका पता चले या कुछ महसूस हो तो बचाव करें घबराए नहीं।

धन्यवाद!👍


मंगलवार, 7 जनवरी 2025

पिता

                              पिता

मैं आज कुछ पंक्तिया पिता पर निवेदित करने जा रहा हूँ जब पूरा ब्रह्माण्ड उद्गोष करता है तो माँ जन्म लेती है परंतु ये भी कहने में अतिशयोक्ति न होंगी की पिता सृष्टि में निर्माण कि अभिव्यक्ति है।
 बहुत लोग कहते है कि भगवान है तो सब कुछ है और सब कुछ हो जाएगा।
पर मेरा मानना है कि भगवान का ही दूसरा रूप धरती पर पिता का है जो अपने बच्चों को कभी किसी चीज़ की कमी महसूस तक न होने देता है।
भले ही उस पर कितनी ही विपत्तियों का पहाड़ ही क्यो न टूट पड़ा हो।
 पिता अपनी इच्छाओं का हनन व परिवार की पूर्ति है।