ADVERTISMENT

गुरुवार, 16 जनवरी 2025

कौन हैं IITian बाबा? महाकुंभ की कहानी।

 IITian बाबा: लाखों की नौकरी छोड़ अध्यात्म की ओर बढ़ने की प्रेरणादायक कहानी



महाकुंभ 2025 के दौरान कई साधु-संत और तपस्वी अपने अनोखे कार्यों से सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक चर्चा में हैं "IITian बाबा"। इस बाबा का असली नाम अभय सिंह है, जिन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद लाखों की नौकरी छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुना। उनकी इस अनोखी यात्रा ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।

कौन हैं IITian बाबा?

हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव के रहने वाले अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी उच्च शिक्षा और बेहतरीन करियर के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि वे कई प्रतिष्ठित कंपनियों में काम कर चुके हैं, और कनाडा में भी तीन साल तक रहकर एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी की।

लाखों की नौकरी छोड़कर अध्यात्म की ओर

अभय सिंह ने बताया कि कनाडा में वे 3 लाख रुपये मासिक वेतन यानी 36 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर काम कर रहे थे। हालांकि, वहां की जिंदगी और काम से वे निराश और तनावग्रस्त रहने लगे। उन्होंने महसूस किया कि भौतिक सुख-सुविधाओं से उनका मन भरा नहीं, बल्कि वे और अधिक मानसिक तनाव में आ गए। इसी निराशा से उबरने के लिए उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना।

मेंटल हेल्थ और अध्यात्म

अभय ने बताया कि कनाडा में रहने के दौरान वे डिप्रेशन से जूझ रहे थे। उन्होंने मेंटल हेल्थ समस्याओं से निपटने के लिए अध्यात्म की ओर रुख किया, जिसने उन्हें शांति और आत्मिक संतोष प्रदान किया। अध्यात्म में उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान मिला और उन्होंने अपने जीवन में एक नई दिशा की खोज की।

व्यक्तिगत जीवन और 4 साल की डेटिंग

अभय सिंह ने यह भी बताया कि वे भारत में एक लड़की के साथ चार साल तक रिलेशनशिप में थे। हालांकि, अपने माता-पिता के बीच विवादों के कारण उनका शादी से विश्वास उठ गया और उन्होंने विवाह नहीं करने का निर्णय लिया। इस व्यक्तिगत अनुभव ने भी उनके जीवन में बदलाव लाने में भूमिका निभाई।

परिवार की प्रतिक्रिया

अभय के पिता, कर्ण सिंह, जो पेशे से वकील हैं, ने बताया कि अभय ने पिछले छह महीनों से उनके संपर्क में नहीं थे। उन्होंने कहा कि अभय कनाडा में अपनी बहन के साथ रहते थे और वहां नौकरी कर रहे थे। परिवार के लिए अभय का यह निर्णय अप्रत्याशित था, लेकिन वे उनके इस फैसले का सम्मान करते हैं।

IITian बाबा की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो भौतिक सुख-सुविधाओं और उच्च वेतन के बावजूद अपने जीवन में आत्मिक संतोष की खोज में हैं। अभय सिंह का जीवन इस बात का उदाहरण है कि असली खुशी और संतोष बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि भीतर की शांति में है। उनकी यह यात्रा न केवल अध्यात्म में रुचि रखने वालों के लिए, बल्कि आधुनिक युग में मानसिक स्वास्थ्य और आत्मिक संतोष की तलाश में लगे लोगों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें