बुजुर्गों की स्थिति हम बात उस सच की कर रहे जिसे हम अपने युवावस्था में भूल जाते हैं, भारत एक नवजवान देश है यह कहकर हम बुजुर्गों की अनदेखी कर रहे हैं 1अक्टूबर (International Day of Older Persons) आते ही हम बुजुर्गों की दयनीय स्थिति की चर्चा,समाज मे इस दिन बुजुर्गों को दया के भाव से देखा जाता है।
पर इस एक दिन के बाद इन चर्चाओं को सीमित कर दिया जाता है आखिर क्यों?
आजादी के 70 साल बाद भी कोई इन पर बात करने को तैयार तक नही है आख़िर क्यों ?
पर इस एक दिन के बाद इन चर्चाओं को सीमित कर दिया जाता है आखिर क्यों?
आजादी के 70 साल बाद भी कोई इन पर बात करने को तैयार तक नही है आख़िर क्यों ?
"विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राऐं व्यर्थ है
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ है"
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ है"
बात बुजुर्गों की

"कैक्टस को तो सजाकर वो गुलदान में रखता है
माँ-बाप को गैराज या दलान में रखता है"
हमारे देश में 60 साल के बाद किसी भी व्यक्ति को मुख्यधारा से काट दिया जाता है और देश के विकास में इनकी स्थिति को शून्य मान लिया जाता है
देश मे बुजुर्गों की संख्या 10करोड़ 38लाख है,1करोड़ 50लाख अकेले रहने को मजबूर,5.5करोड़ बुजुर्ग रोज़ाना भूखे पेट सोते है।
हर 8में से एक बुजुर्ग को यह लगता है कि उनके होने या न होने से कोई फर्क नही पड़ता इसी बात का उदाहरण मैं बताना चाहता हूं बात मुंबई की है अमेरिका में रहने वाले एक बेटे ने अपने माँ से लगभग 1साल 4महीने तक कोई बात नही की वापस आने पर उसे केवल माँ का कंकाल मिला,
ये उस माँ का कंकाल नही ये रिश्तों का कंकाल है
आज भी 90% बुजुर्गों को सम्मान से जीने के लिए सारी उम्र काम करना पड़ता है
इसी प्रकार 2026 तक बुजुर्गों की संख्या 17 करोड़ तक हो जाएगी।
बात सम्मान और सुधार की
बात बुजुर्गों की स्थिति को सुधारने की है हो हम चीन के शहर शांघाई से शिक्षा ले सकते है यह बुजुर्गों की अनेदखी करने पर माँ-बाप द्वारा उन पर केस किया जा सकता है
इस से संतान के क्रेडिट रिपोर्ट पर असर पड़ता है जिससे कर्ज लेने में असुविधा व अन्य वित्तीय सुविधा लेने में दिक्कत होंगी।
इस दिशा में असम राज्य द्वारा एक पहल किया गया है इस योजना को "प्रणाम"(पेरेंट रिसपॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग) है इस योजन के तहत यदि राज्य का कोई भी कर्मचारी अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करता है तो उस के वेतन से 10-15%काट कर माता-पिता को दे दिया जाएगा
ऐसी ही योजन पूरे देश मे होनी चाहिए ताकि बुजुर्गों को सम्मान मिल सके।
बुजुर्गों से बात करने पर वे बताते है की सड़क हो या बैंक या कोई अन्य स्थान उन से बुरा व्यवहार किया जाता है उन के कपड़ों को देखकर उनकी अवहेलना की जाती हैं।
आइये कुछ करे उनके लिए
"माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नही सकता और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नही सकता"
आइये हम समाज को साफ करने के संकल्प के साथ अपने परिवार के बुजुर्गों को सम्मान देने का भी संकल्प ले,जिससे समाज के साथ -साथ ही हम घर के माहौल को साफ व सम्मानजनक बनाये।
जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी सबक ले।..
"कैक्टस को तो सजाकर वो गुलदान में रखता है
माँ-बाप को गैराज या दलान में रखता है"
हमारे देश में 60 साल के बाद किसी भी व्यक्ति को मुख्यधारा से काट दिया जाता है और देश के विकास में इनकी स्थिति को शून्य मान लिया जाता है
बात सम्मान और सुधार की
बात बुजुर्गों की स्थिति को सुधारने की है हो हम चीन के शहर शांघाई से शिक्षा ले सकते है यह बुजुर्गों की अनेदखी करने पर माँ-बाप द्वारा उन पर केस किया जा सकता है
इस से संतान के क्रेडिट रिपोर्ट पर असर पड़ता है जिससे कर्ज लेने में असुविधा व अन्य वित्तीय सुविधा लेने में दिक्कत होंगी।
इस दिशा में असम राज्य द्वारा एक पहल किया गया है इस योजना को "प्रणाम"(पेरेंट रिसपॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग) है इस योजन के तहत यदि राज्य का कोई भी कर्मचारी अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करता है तो उस के वेतन से 10-15%काट कर माता-पिता को दे दिया जाएगा
ऐसी ही योजन पूरे देश मे होनी चाहिए ताकि बुजुर्गों को सम्मान मिल सके।
बुजुर्गों से बात करने पर वे बताते है की सड़क हो या बैंक या कोई अन्य स्थान उन से बुरा व्यवहार किया जाता है उन के कपड़ों को देखकर उनकी अवहेलना की जाती हैं।
आइये कुछ करे उनके लिए
"माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नही सकता और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नही सकता"
आइये हम समाज को साफ करने के संकल्प के साथ अपने परिवार के बुजुर्गों को सम्मान देने का भी संकल्प ले,जिससे समाज के साथ -साथ ही हम घर के माहौल को साफ व सम्मानजनक बनाये।
जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी सबक ले।..
Very Good
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंVery good ankit
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंये भी पढ़ें - बुजुर्गो को भी दें सम्मान - Give respect to the elderly, in Hindi
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