शहीदों को नमन। 26/11 आज 26/11 की नौवीं बरसी पर सलाम है उस जज़्बे व जुनून को जिसने आज से 9 साल पहले मुंबई को बचाने के लिये कुछ जाबाज सिपाहियों ने आतंकियों के गोलियों के सामने खड़े होकर अपनी जान पर खेल कर मुंबई को आतंकियों के खूनी खेल से बाहर निकाला। आज इसी सहादत को याद करने का दिन है
याद दिला दे कि इस घटना में 166 लोगों की जान चली गई जिसमें 138 भारतीय और 28 विदेशी लोग थे 308 लोग से ज्यादा घायल हो गए थे ये पूरा ऑपरेशन 60 घंटे तक चला।
इन 10 हमलावरों ने अलग-अलग होकर लियोपोल्ड कैफ़े,छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबरॉय होटल,ताजमहल होटल,कामा अस्पताल, नरीमन हाऊस, मेट्रो सिनेमा,टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग इत्यादि जगहों पर मौत का भयानक तांडव चलाया।
जरा आँख में भर लो पानी।
26/11 की वो काली रात जिस में इन शहीदों ने अपनी जान पर खेलकर मुंबई को बचाया था उस रात जब देश के इन बहादुर सिपाहियों के शहीद होने की खबरें एक-एक कर जब टीवी पर आने लगी तो इन के परिवार वाले ये खबर सह नही पाये उस वक़्त मुंबई ATS प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर,NSG कमांडो संदीप उन्नीकृष्णन, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम गोपाल ओंबले सहित कुल 14 पुलिस वालों ने अपनी जान पर खेल कर मुंबई को बचाया था
10 में 9 मारे गये जबकि 1 जिंदा पकड़ा गया अजमल आमिर क़साब जिसे असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तुकाराम गोपाल ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया था तब उन के पास केवल एक डंडा था कसाब ने अपने आपको छुड़ाने के लिए तुकाराम को गोली भी मार दी थी। लेकिन खून से लथपथ तुकाराम ने कसाब को नही छोड़ा था।बाद में वे कसाब की गोली से शहीद हो गए। कसाब को 27 नवम्बर 2008 को गिरफ्तार हुआ जिसे 4 साल बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 21 नवम्बर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया।
तुकाराम को मरणोपरांत अशोक चक्र से भी नवाजा जा चुका है ऐसे वीर तुकाराम को मेरा सलाम।
धन्यवाद