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गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

बोरसी की आग

 बोरसी नाम सुना-सुना लग रहा होगा। शहरों में बस चुके जिन लोगों की जड़े गाँवों में हैं उन्हें पता होगा ।
उन्हें जाड़े की रातों में बोरसी की आग की स्मृतियां भूली नहीं होंगी । घर के दरवाजे पर या दालान(बरामदा) में बोरसी का मतलब सम्पूर्ण सुरक्षा ।
अब शहरों या गाँवों में भी पक्के, सुंदर घरों वाले लोग धुंए से घर की दीवारें काली पड़ जाने के डर से बोरसी नहीं सुलगाते, उसकी जगह रूम हीटर ने ले ली।
लेकिन गांव के मिट्टी या खपरैल मकानों में ऐसा कोई डर नहीं होता था।
बुजुर्ग कहते थे, दरवाजे पर अगर बोरसी की आग हो तो ठंड ही नहीं भागती बल्कि घर में साँप बिच्छु और भूत-प्रेत का प्रवेश भी बंद हो जाता है।
सार्वजनिक जगहों पर जलने वाले अलाव जहाँ गांव-टोले के चौपाल होते थे, तो बोरसी को पारिवारिक चौपाल का दर्जा हासिल था घर की बड़ी से बड़ी समस्या भी इस पारिवारिक चौपाल के इर्द-गिर्द सुलझ जाती थी
बिस्तर पर जाते समय बोरसी की आग बुजुर्गों या बच्चों के बिस्तरों के पास रख दी जाती थी।
आज के युवाओं और बच्चों के पास बोरसी की यादें भी नहीं हैं जिन लोगों ने बोरसी की गर्मी और रूमान महसूस किया है, उनके पास घर की डिजाइनर दीवारों और छतों के नीचे बोरसी की आग सुलगाने की आजादी अब नहीं रही।

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