कभी-कभी खुद पर मर जाने का मन करता है,
और कभी अपने ही गमों से बातें का मन करता है,
कभी-कभी अपनी हँसी पर रूठ जाने का मन करता है
और कभी पूरे जग को हँसाने का मन करता है,
कभी-कभी लाख गमों पर भी आँसू नहीं आते
और कभी बेवजह आँसू बहाने का मन करता है,
कभी-कभी अपनों से दूर जाने का मन करता है
और कभी किसी के बाहों में समा जाने का मन करता है,
कभी-कभी खुद से रूठ जाने का मन करता है
और कभी उसकी सासों में समा जाने का मन करता है।
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