इतना भयावह निर्मम और क्रूर मंजर शायद किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा।
इस महामारी ने स्प्ष्ट कर दिया कि हम दुर्दशा के उस दौर में जी रहे हैं जहाँ जन-धन-बल सब बेकार हो चुका है।
हम सभी का दुर्भाग्य तो देखिए हम यह भी नहीं जानते है, कि इस क्रूर बला से मुक्ति कब मिलेगी, विशेषज्ञ तो यह बता रहे है कि यह दूसरी लहर का प्रकोप है तीसरी और चौथी अभी आनी बाक़ी है।
अब कोई सवाल भी नहीं बचा किसी महाशय से पूछने
को , और इसके जिम्मेदार वहीं लोग है जो यह जानते थे कि दूसरी लहर आने वाली है लेकिन उन्हें क्या ?
क्योंकि लोगों के चिताओं पर इनकी दाल अच्छी पकती हैं।
यह दोष किसी एक का नहीं हमने भी अपनी जिम्मेदारियां नही निभाई और सरकार ने भी अपनी लापरवाही में कोई कसर तक नहीं छोड़ी।
सरकार तो बस चुनाव कराने में व्यस्त थी और हाँ चुनाव का एक ही लाभ मिला देश को चिताओं की संख्या में वृद्धि, और इस क्रूर महामारी ने अपने पाँव पूरी तरह फैल लिए।
लेकिन सरकार को क्या उनके पास तो आंकड़े मौजूद है और आंकड़े सिर्फ और सिर्फ दर्द को बढ़ाते है किसी का पिता, किसी का बेटा, किसी की माँ, को तो वापस नहीं ला सकते हैं। और ये आंकड़े कितने सही और कितने गलत हैं ये सभी को पता है।
अब हमारे, आपके, और हम सभी के पास विकल्प बस यही बचा है कि इस महामारी से खुद व अपनों को सुरक्षित रखें और लोगों की हरसंभव मदद करें, जागरूक करें।
तो घबराएं नहीं बस सावधान रहें।
धन्यवाद🙏