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बुधवार, 7 नवंबर 2018

Diwali


बस का इंतज़ार करते हुए,
मेट्रो में खड़े-खड़े
रिक्शा में बैठें हुए
गहरे शून्य में क्या देखते रहते हों?
गुम सा चेहरा लिए क्या सोचते रहते हो?
क्या खोया और क्या पाया का हिसाब नहीं लगा पाये ना इस बार भी?
घर नहीं जा पाए ना इस बार भी?
                                           धन्यवाद

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