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रविवार, 26 मई 2019

मुमकिन है

                         मुमकिन है
मेरे पहले पंक्ति से ही आप लोगों को पता चल गया होगा कि यहाँ बात वर्तमान लोकतंत्र के सबसे बड़े विजेता की हो रही है।
भरोसा। शायद यही उपयुक्त शब्द होगा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान देश के नागरिकों के मन और दिल में जगाया।
 देश के दुश्मनों की आँख में आँख डालकर बात करने की बात हो,या राष्ट्रीय सुरक्षा की बात हो या उज्वला और आयुष्मान जैसी तमाम कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने की बात हो।
सरकार की कार्यशैली और आत्मविश्वास ने लोगों में यह भरोसा पैदा किया कि नामुमकिन कुछ भी नहीं। हर मोर्चे पर सरकार की साफगोई और निष्ठा ने लोगों का दिल जीत लिया,सब कुछ अच्छा हुआ और जो नहीं हुआ उसके लिए महज पांच साल की समयावधि के तर्क को कुतर्क तो कतई नहीं कहा जा सकता है।
तभी तो लोगों ने इस समयावधि को और बढ़ा दिया है। न सिर्फ बढ़ाया बल्कि इस लायक बनाया कि खुद के विवेक से सरकार सख्त से सख्त फैसले से भी न परहेज करें।,अब जनता को यह लग रहा हैं,कि नामुमकिन कुछ भी नहीं।
क्योंकि अब जनता ही बोलने लगी है,मोदी है तो मुमकिन है। ऐसे में नई सरकार के सामने विभिन्न क्षेत्रों की बड़ी चुनौतियों और उनके समाधान आज बड़ा मुद्दा है। इस जीत पर अटल जी की कुछ पंक्ति:
हार नहीं मानूगा,रार नहीं ठानूगा,
काल के कपाल पे लिखता और मिटाता हूँ,
मैं गीत नया गाता हूँ।

रविवार, 19 मई 2019

देश के लिए जरुरी।

                     देश के लिए जरूरी
                      (आपका एक मत)
देश इस महापर्व के अंतिम चरण में पहुँच गया हैं और आज इस लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व की विदाई हैं साथ ही साथ कुछ ही दिनों में इसके परिणाम भी आ जायेंगे।
परंतु मैं उन युवाओं में से हूँ जो चिंतित भी है और उत्साहित भी,क्योंकि हम पहली बार मतदान करने जा रहे हैं। 
चिंता इस बात की है,की हम कहाँ अपने मताधिकार का प्रयोग करें,और उस से भी बड़ी चिंता यह कि क्या मताधिकार का प्रयोग करने के बाद भी हमारे मत का सही मूल्य मिल पायेगा देखते है।?
देश के विकास में जात-पात,लालच और सभी प्रकार के मतभेदों को दरकिनार करते हुए,एक सभ्य नागरिक होने के नाते अपना वोट जरूर दें।                                                                        धन्यवाद 

रविवार, 12 मई 2019

माँ है तो मुमकिन है।

               माँ है तो मुमकिन है।
माँ है तो कुछ भी मुमकिन है,क्योंकि दुनिया के किसी छाव में उतना सुकून नहीं जितना माँ के आँचल में है। दुनिया में ऐसा कोई बिस्तर नहीं जो माँ के गोद से भी बढ़िया नींद ला दे,दुनिया मे ऐसा कोई नहीं जो माँ-बाप का स्थान ले सकें। तो माँ-बाप के बिना इस सृष्टि की रचना अधूरी है।
जहाँ पिता अपने गुस्से से ही प्रेम को दिखाता है वहीं माँ अपने आँचल में छुपाकर उस प्रेम को दुगुना कर देती है, 
दुनिया में शायद ही किसी ने इनके इतना तपस्या किया हो,इतिहास में तो बहुत महान योद्धा मिल जायेंगे परंतु वर्तमान में माँ-बाप के इतना महान योद्धा कहीं नही मिलेगा।क्योंकि अपने बेटे/बेटी के लिए हर जंग लड़ने को तैयार रहते हैं।
कुछ पक्तियां हैं,मैं पढ़ता हूँ मुझे अच्छी लगती है-
बहुत रोते है लेकिन दामन हमारा नम नहीं होता,
इन आँखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता,
मैं अपने दुश्मनों के बीच भी महफूज़ रहता हूँ,
मेरी माँ की दुआओं का खजाना कम नहीं होता।


गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

सुर्खियों में किसान

               सुर्खियों में किसान।                      किसान उगाता है,तो देश खाता है ये तो सिर्फ अब     कहने की बात हो गई पर क्या जब कोई किसान मरता है तो देश जानता है। जवाब आप लोंग ख़ुद जानते हैं 
और जब एक किसान मरता है तो न ही यह समाचार पत्रों की मुख्य ख़बर होती है और न ही सोशल मीडिया पर इसे देखा जाता है किसान के साथ ही ये ख़बर भी दम तोड़ देती है। और अगर कहीं किसान की ख़बर मिलती भी है तो संपादकीय पृष्ठ पर या कहीं कोने में।
लेकिन वही जब कोई लोकतांत्रिक पार्टी को विजयश्री प्राप्त होती है या किसी नामजद की जेल यात्रा तो पूरा देश इन्हीं खबरों से पट जाता है।
बड़े दुःख की बात है कि 'जो उगाता है वही हर बार क्यो मार खाता है' क्या यही उसकी सजा है।
यहाँ मैं एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि न मैं किसी राजनीतिक पार्टी से हूँ ,और न ही किसी किसान मोर्चा दल से, मैं तो उस किसान का बेटा हूँ जो अपना सारा दिन अपनी फसलों को अच्छा करने में लगा देता है और रात में इस डर से नहीं सोता की उसकी फसल बर्बाद न हो जाए, नहीं तो बैंक का कर्ज़ व बेटे की पढ़ाई और पत्नी की दवाई सब रुक जाएगी। और अगर फसले अच्छी हो भी जाये तो क्या बाजार में अच्छे दाम मिल जाएंगे और अगर नहीं मिले तो फिर क्या?
इन्हीं बातों को सोचते हुए उसकी हर सुबह होती है,और खेत फिर उसे अपने बेटे की तरह प्यारे लगने लगते है। और वह पुनः इन्हीं चिताओं में घिरा रहता है कि कही बेटे-बेटी की पढ़ाई न रुक जाए,कहि पत्नी की दवाई न रुक जाए,और अंत में होता क्या है उसकी साँसे ख़ुद ही रुक जाती है।
तब पता चलता है कि बैंक का कर्ज न चुकाने व बाजार में फसल के औने-पौने दाम मिलने से एक और किसान का परिवार व पूरा देश पुनः अनाथ हो गया।
                                                      धन्यवाद।

बुधवार, 7 नवंबर 2018

Diwali


बस का इंतज़ार करते हुए,
मेट्रो में खड़े-खड़े
रिक्शा में बैठें हुए
गहरे शून्य में क्या देखते रहते हों?
गुम सा चेहरा लिए क्या सोचते रहते हो?
क्या खोया और क्या पाया का हिसाब नहीं लगा पाये ना इस बार भी?
घर नहीं जा पाए ना इस बार भी?
                                           धन्यवाद

रविवार, 16 सितंबर 2018

साथी हाथ बढ़ाना।



साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा मिल कर बोझ उठाना साथी हाथ बढ़ाना.........
इन पंक्तियों में एक प्रकार की एकता स्पष्ट झलकती दिखती है चाहे वह किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो।
मैं बात स्वच्छता की कर रहा हूं ।
इस से पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी भी राजनीतिक दल से नहीं हूं और अब आगे........
मैं पहले तो उस व्यक्ति विशेष को धन्यवाद देना चाहता हूं जिसने इस अभियान को देशव्यापी बनाया और तो और यह बात किसी एक व्यक्ति के लाभ व स्वार्थ के लिए नही बल्कि पूरे देश के स्वास्थ और जीवन को बेहतर बनाने की लिए की जा रही है।
आज से ही मुझे,आपको, बल्कि हम सभी को मिलकर सिर्फ अपने आस-पास के इलाके को स्वच्छ करना होगा, और दूसरों को भी जागृत करना होगा।
जैसा कि मेरी पहली पंक्ति में ही यह स्पष्ट है कि सबको एक साथ आना होगा तभी हम परिणाम को भी बखूबी देख पाएंगे।
इस विषय पर जितना भी लिखे कम ही है क्योंकि बात लिखने से नही करने से बनेंगी।
इसलिए सिर्फ एक अपील भारत का एक नागरिक होने के नाते,भारत को स्वच्छ बनाने के लिए,
मुझे विश्वास है,की आप लोग इस संदेश को अन्य लोगों तक पहुचायेंगे और स्वच्छता से जुड़े अपने अनुभव व चित्र फेसबुक व व्हाट्सएप पर सबके साथ साझा करेंगे।
            धन्यवाद

रविवार, 13 मई 2018

माँ


आज का विषय माँ है, जिस पर मैं कुछ निवेदित कर रहा हूँ जब समूचा ब्रह्मांड उद्घोष करता है तो माँ जन्म लेती है यह वो स्त्री है, जो समय के साथ बदलती है बदलती ही नहीं वरन समय को बखूबी थाम भी लेती है।
माँ जब अपने झुर्रियों भरे हाथों से आशीर्वाद देती है तो सफलता के नये मापदंड और प्रतिरूप तय हो जाते हैं।
मुझे नहीं पता कि किनकि माँ जिवित हैं और किन्होंने माँ को खो दिया है पर मेरा व्यक्तिगत मत है कि जिनकी माँ जिवित हैं जिनके पिता जिवित हैं वो दुनिया के सबसे सम्पन्न लोग हैं, वो दुनिया के सबसे अमीर लोग हैं।
एक मिनट बचपन में लौटियेगा जब हम बहुत छोटे थे जब माँ की गोद में थे तब हम माँ का स्तनपान करते थे और उसी समय अपने नन्हें-नन्हें पैरों से माँ को मारा करते थे पर उस माँ ने हमें कभी भी दूध पिलाना बंद नहीं किया।
मित्रों लात खाकर भी अगर भोजन देने की शक्ति उस परम पिता परमेश्वर ने किसी को दी है तो वो हैं माँ
पृथ्वी पर मनुष्य भगवान को ढूँढ़ता है और न जाने क्यों मेरा मानना है कि भगवान का ही रूप है माँ जिसको बोलने में ही ममता का भाव स्पष्ट सुनाई देता हैं।
माँ शब्द सुनते ही ज़ेहन में एक अलग आनंद की अनुभूति होती है और आज भी वो एक फ़िल्मी डायलॉग जो शायद किसी को न भूला हो 'मेरे पास माँ है'। सुनते ही हृदय में एक ममता का अविरल भाव उतपन्न हो जाता है। 
           

बहुत रोते हैं लेकिन दामन हमारा नम नही होता,
इन आँखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता,
मैं अपने दुश्मनों के बीच भी महफ़ूज रहता हूँ,
मेरी माँ की दुआओ का खजाना कम नहीं होता।

माँ जिसमें संवेदना है, भावना है, त्याग है, ममता है, प्यार है, पवित्रता है और यूँ कहें तो संसार के सारे गुण विद्यमान है।
माँ अपने लिये नहीं अपनों के लिए जीती है।
पुनः एक बार बचपन में लौटियेगा जब परीक्षा देते जाते समय दही का कटोरा ले हमारे सामने शगुन बन खड़ी हो जाती वो माँ ही हैं।
हर परिस्थितियो में ढाल बनकर खड़ी होने वाली वो माँ ही हैं,
यहाँ तक कि पापा के मार से बचाने वाली वो माँ ही हैं।
धूप में अपने आँचल का छाव देने वाली वो.........

गीता, क़ुरान और बाइबल का सार है माँ
दुनिया और संसार है माँ...............

                                        ऐसी हर माँ को शत-शत नमन....