माँ है तो मुमकिन है।
माँ है तो कुछ भी मुमकिन है,क्योंकि दुनिया के किसी छाव में उतना सुकून नहीं जितना माँ के आँचल में है। दुनिया में ऐसा कोई बिस्तर नहीं जो माँ के गोद से भी बढ़िया नींद ला दे,दुनिया मे ऐसा कोई नहीं जो माँ-बाप का स्थान ले सकें। तो माँ-बाप के बिना इस सृष्टि की रचना अधूरी है।
जहाँ पिता अपने गुस्से से ही प्रेम को दिखाता है वहीं माँ अपने आँचल में छुपाकर उस प्रेम को दुगुना कर देती है,
दुनिया में शायद ही किसी ने इनके इतना तपस्या किया हो,इतिहास में तो बहुत महान योद्धा मिल जायेंगे परंतु वर्तमान में माँ-बाप के इतना महान योद्धा कहीं नही मिलेगा।क्योंकि अपने बेटे/बेटी के लिए हर जंग लड़ने को तैयार रहते हैं।
कुछ पक्तियां हैं,मैं पढ़ता हूँ मुझे अच्छी लगती है-
बहुत रोते है लेकिन दामन हमारा नम नहीं होता,
इन आँखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता,
मैं अपने दुश्मनों के बीच भी महफूज़ रहता हूँ,
मेरी माँ की दुआओं का खजाना कम नहीं होता।